Monday, January 9, 2012

Disturbia


अपने ही खयालों में मौत हो गई है मेरी
बड़ा दर्दनाक है यह.
अभी महसूस नहीं होती सांसें,
तसवीरें सिर्फ़ बंद आँखों से ही दिखती हैं,
बहुत सी चीखें निकल रहीं हैं
पर इतनी चुप हैं सारी कि मेरे सिवाय कोई सुन भी नहीं सकता.

आत्मा ये शरीर छोड़ छोड़कर बार-बार भागे जा रही है
पता नहीं क्यूँ चुम्बक की तरह खिंची चली आती  है वापिस.

मुझे अभी यहाँ नहीं होना था
यूं तो यहाँ अभी हूँ भी नहीं
पर फ़िर भी और कहीं नहीं हूँ
बस यहीं हूँ एक बेबसी के साथ
काश मैं सच में यहाँ नहीं होती.
बहुत चुभ रहीं हैं यह आवाज़ें यहाँ
जो मेरी नहीं हैं.

बहुत नींद आ रही है
पर सोने की चाह नहीं है ऐसे
कितनी सारी दुनियाओं में एकसाथ हूँ अभी,
पहले खुद को समेट लूँ एक जगह
फ़िर ही सोना ठीक रहेगा.