Thursday, April 27, 2017

आज सुबह


आज जब मैं सुबह घर से निकली 
तो चिलचिलाती बदन को जलाती धूप न थी 
मौसम ख़ुश्क न था 
हवा में एक महक थी ख़ुशी की 
कोयल की कूक सुनाई पड़ रही थी 
कुछ पेड़ों पर फ़ूल भी दिखाई दे रहे थे 
पत्ते रोज़ से कुछ ज़्यादा हरे दिख रहे थे 
आज कहीं हड़बड़ाते लोग नहीं दिखे 
रास्ते चलते साईकल से ऑटो टकराते नहीं दिखे 
दिन के शुरू में चेहरे पर एक मुस्कान खिल गयी 
जैसे कल से ढूंढ रही मैं ख़ुशी मिल गयी