Wednesday, October 7, 2020

एक लड़की / दिल की बातें


(This poem "एक लड़की" is written by a friend. And my version "दिल की बातें" is sort of a collaboration, like a response to that poem.)


एक लड़की

एक लड़की मुझको सीने से लगाना, चाहे भी घबराए भी 
रात गए उलझी ज़ुल्फ़ें, मुझसे सुलझाना, चाहे भी घबराए भी 

नाख़ून चुभो के मारेगी, अबके जो कमर पे हाथ गया 
शोर मचा के मुझको बताना, चाहे भी घबराए भी 

ख़्वाब से डरकर बिस्तर पर, घंटों घंटों पगली वो 
नींद में मुझको फ़ोन मिलाना, चाहे भी घबराए भी 

ऐन मुमकिन है उसे मुझसे मोहब्बत ही न हो 
दिल फिर भी उसको अपनाना, चाहे भी घबराए भी 


दिल की बातें

दिल की बातें जुबाँ पे लाना, चाहूँ भी घबराऊँ भी 
देख तुझे सीने से लगाना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

याद करूँ हर सुबहो शाम, घर दफ़्तर या हो बाहर 
दिन की सारी बातें बताना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

जब गेड़ी मारें सड़कों पर, झूम झूम के गीत सुनें 
धीरे से तुझे हाथ थमाना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

मेरी फ़िक्र तुझे सोने न दे, तो चैन मुझे कैसे आए 
तब भी थोड़ा तुझको सताना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

Friday, September 25, 2020

वो वादा न करना


मोहब्बत चाहे तुम ज़्यादा न करना 
जो निभा न सको, वो वादा न करना 

हर ख़्वाब मुक़म्मल होता नहीं है 
हक़ीक़त जो न हो, इरादा न करना 

सफ़र जो लंबा हो, मंज़िल हो दूर 
शुरू जो करो, फिर आधा न करना 

Friday, May 1, 2020

तेरे इंतज़ार में


तेरे इंतज़ार में वो, रात कल सोई नहीं 
शमा पिघलती रही पर, आँख बस रोई नहीं 
क्या मुनासिब है जो इतना, हो सितम उसपे अभी 
क्यूं मिले उसको सज़ा, जब बीज वो बोई नहीं 
ढूंढता है कौन क्या कब, किसे है मालूम वो
हर गली कूंचे में देखा, उसने पाया कोई नहीं 

Sunday, April 26, 2020

मेरा कहा मान


मेरा कहा मान मुझे याद न कर
हर पहर मेरी फ़रियाद न कर
काम बहुत हैं दुनिया में इश्क़ के सिवा
आशिकी में शामें यूं बर्बाद न कर
बड़ी मिन्नत से मिलता है रूह को सुकूँ
इन फ़िज़ूल की बातों पर फ़साद न कर
अरसे बाद भरे हैं जो ज़ख्म पुराने
और नये ग़म अब ईज़ाद न कर
फाँसले बहुत हैं ख़्वाब औ' हक़ीक़त में
कामिल न हो ऐसी मुराद न कर

Thursday, April 9, 2020

ये वक्त भी गुजर जायेगा


हर सावन के बाद है पतझड़,
हर शीत के बाद बहार,
ये वक्त भी गुजर जायेगा।

After every monnsoon, there is an autumn
After every winter, a spring
This time too shall pass!

Sunday, January 12, 2020

I understand sorrow


I understand sorrow
Doesn't mean I am sad
Not living like you do
Doesn't mean I am dead

It's great to feel joy
But it's okay to feel pain
Universe balances everything
Not every win is a gain

Come, what may bring you
Ensure to have then fun 
When life can be a whirlpool
Be you and next to none

Friday, January 3, 2020

ये कैसा नया साल है


ये कैसा नया साल है 
जो बुझा हुआ हाल है 
कोई ग़म है या मलाल है 
ये कैसा नया साल है

खून सफ़ेद है पर 
चेहरा सुर्ख़ लाल है 
किस बात का बवाल है 
ये कैसा नया साल है

बदली है रंगत और 
बदली चाल ढाल है 
किस बात का कमाल है 
ये कैसा नया साल है

खो गये हैं ख़्वाब औ'
पिघल गये ख़याल हैं 
रूह गुमशुदा फ़िलहाल है 
ये कैसा नया साल है

सुर नहीं हैं मिल रहे 
बिगड़ी सारी ताल हैं 
न हिज्र न विसाल है 
ये कैसा नया साल है

दौलत का मोल क्या 
तिजोरी मालामाल है 
और दिल से कंगाल हैं 
ये कैसा नया साल है

सोच में सुकूँ नहीं 
ज़हन में बस सवाल है 
ये जी का जंजाल है 
ये कैसा नया साल है

कद बहुत है छोटा 
और आईना विशाल है 
सारी गलत मिसाल हैं 
ये कैसा नया साल है

Tuesday, December 31, 2019

Saved


Sometimes 
I feel lost
But then
I am always saved
I have three lifelines
Which keep me alive
Art,
Poetry
And
You.

इस साल की सीख


इस साल मैंने सीखा 
सिर्फ़ एक अच्छा इंसान बनना 
काफ़ी नहीं है 
सुन्दर दिखना 
बहुत ज़्यादा दौलत कमाना 
और हर किसी की नज़रों में ख़ास बनना 
सफलता के असली मापदण्ड हैं 

इस साल मैंने सीखा 
आप कितना भी प्रेम कर लें 
पर हद से ज़्यादा विश्वास करना 
बेहद फ़िज़ूल है 
लोग सिर्फ एक हद तक ही साथ देते हैं 
और वो हद 
अक्सर उनके मतलब के हिसाब से तय होती है 

इस साल मैंने सीखा 
आप चाहे अपनी सोच में 
सारे समंदर समेट लें 
और अंतरिक्ष की सीमायें लाँघ लें 
अंत में अपनी गरिमा का वास्ता देते हुए 
समाज की बनाई किसी सीमा में 
क़ैद हो जाना होता है 

इस साल मैंने सीखा 
वादे सिर्फ किये जाते हैं 
निभाना उतना ज़रूरी नहीं होता 
वादों में अक्सर 
मतलब छिपे होते हैं 
और निभाने की वज़हें 
मतलब के आगे कमज़ोर 

इस साल मैंने सीखा 
लोग आपसे अक्सर 
हाल चाल पूछते हैं 
पर उन्हें सच में आपके हाल में 
उतनी ही दिलचस्पी होती है 
जितना उन्हें उससे 
मनोरंजन मिलता रहे 

इस साल मैंने सीखा 
कि किसी पीड़ा का माप 
चोट नहीं होती 
और हम ऐसी 
बहुत सी चीज़ें 
महसूस कर लेते हैं 
जिन्हें हम समझ नहीं सकते 

इस साल मैंने सीखा 
अपेक्षायें और आकांक्षायें 
कभी ख़त्म नहीं होती 
और असीम असंभावनाओं के मध्यस्त 
एक उम्मीद ही होती है 
जो हौंसला देती है 
निरंतर बढ़ते रहने के लिये 

इस साल मैंने सीखा 
जरूरतें तो हमेशा ही 
वक़्त पर पूरी हो जाया करती हैं 
पालने होते हैं तो बस कुछ शौक़ 
कुछ ख़ुद को खुश रखने के लिये 
और कुछ खुद को ज़िंदा 
मृत इंसान के शौक़ नहीं हुआ करते 

इस साल मैंने सीखा 
महज़ ज़िंदा रहना ही ज़िंदगी नहीं 
ज़िंदगी में स्वाद 
ज़िंदादिली से है 
ज़िंदगी की चाह 
और ज़िंदगी का शुक्र अदा कर पाना 
ज़िंदगी की सच्ची सफ़लता है 

इस साल मैंने सीखा 
वक़्त तो हर लम्हा गुज़रता ही रहता है 
वो नहीं रुकता 
पर हम ही लम्हों को 
कभी यादों तो कभी शब्दों में 
तो कभी चित्रों में उकेर के 
क़ैद कर सकते हैं 
और वक़्त को रोक सकते हैं 

Monday, December 30, 2019

Gratitude poetry


An year has ended
So that another could begin 
And I am so much thankful 
For this year which has ended
For the year which will now begin
For the people who left
For the people who stayed 
For the people who entered 
For the memories which were created
For the scars that proved me strong
For the support I have recieved 
For the dreams I continue to see
For the faith that's still unshakable 
For the love which never fades
For the hopes that continue to rise
And most importantly 
For the spirit of never giving up
For welcoming everything with open heart
For continuing living life 
And feeling thankful for everything that is

Sunday, December 29, 2019

पतझड़


पतझड़ के मौसम में, गुलाब नहीं मिलते
सवाल कई होते हैं, जवाब नहीं मिलते
हक़ नहीं कोई शिक़वा या शिकायत करें
हर दफ़े हकीकत और ख़्वाब नहीं मिलते