Wednesday, October 7, 2020

एक लड़की / दिल की बातें


(This poem "एक लड़की" is written by a friend. And my version "दिल की बातें" is sort of a collaboration, like a response to that poem.)


एक लड़की

एक लड़की मुझको सीने से लगाना, चाहे भी घबराए भी 
रात गए उलझी ज़ुल्फ़ें, मुझसे सुलझाना, चाहे भी घबराए भी 

नाख़ून चुभो के मारेगी, अबके जो कमर पे हाथ गया 
शोर मचा के मुझको बताना, चाहे भी घबराए भी 

ख़्वाब से डरकर बिस्तर पर, घंटों घंटों पगली वो 
नींद में मुझको फ़ोन मिलाना, चाहे भी घबराए भी 

ऐन मुमकिन है उसे मुझसे मोहब्बत ही न हो 
दिल फिर भी उसको अपनाना, चाहे भी घबराए भी 


दिल की बातें

दिल की बातें जुबाँ पे लाना, चाहूँ भी घबराऊँ भी 
देख तुझे सीने से लगाना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

याद करूँ हर सुबहो शाम, घर दफ़्तर या हो बाहर 
दिन की सारी बातें बताना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

जब गेड़ी मारें सड़कों पर, झूम झूम के गीत सुनें 
धीरे से तुझे हाथ थमाना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

मेरी फ़िक्र तुझे सोने न दे, तो चैन मुझे कैसे आए 
तब भी थोड़ा तुझको सताना, चाहूँ भी घबराऊँ भी

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