Monday, January 16, 2017

कभी कभी


कभी कभी लगता है
कुछ तोड़ दिया है मैंने
जाने या अनजाने में
या छीन लिया
कभी लगता है
थोपी जा रही हूँ
कभी लगता है
दूर भाग रही हूँ
जैसे जो होना था
वैसा कुछ भी नहीं हुआ
पर फ़िर भी पता नहीं
हुआ तो क्या हुआ
क्यूँ हुआ
उसका तो कोई ज़वाब नहीं है
पर सच में
कुछ तोड़ना नहीं था मुझे

Thursday, January 12, 2017

कभी आता नहीं बाद


मिनट, घण्टे, दिन
गुज़रते हैं
लम्हे हर दफ़ा
यूँ फ़िसलते हैं
कुछ आस में
किसी पैग़ाम की
और वो जो न हो
तो दुआ सलाम की
लोग कहते हैं अक्सर
वो करेंगे वापिस याद
भूल जाते हैं मगर
कभी आता नहीं बाद