Tuesday, August 22, 2017

तवज़्ज़ो


दे न तू आज यूँ तवज़्ज़ो ए मुसाफ़िर
शिरीन लगते हैं लम्हें जब तलक ताज़ा होते हैं
सफ़र ये लंबा है, जश्न सिर्फ़ दो पल का
मुश्किलों से साथ रोज़-ए-हश्र तक होते हैं

Don't give me such importance today, o traveler
These moments feel sweet, till they are fresh
The journey is long, celebrations last only few moments
Its very hard to find a companionship till the world ends

Monday, August 21, 2017

नये रास्ते


नये रास्ते आज़मा 
नये तज़ुर्बे ढूंढ 
ढूंढ नयी मंज़िलें 
नये रिश्ते ढूंढ 
नयी ख़्वाहिशें पैदा कर 
नये नज़ारे सराह 
जो मुकाम न मिले कोई 
तो बस ये ज़िन्दगी चाह 

Friday, August 18, 2017

ख़लबली


खोज नहीं मुझे 
शांति की, सुकून की 
एक हलचल चाहिए 
ख़लबली सी 
बेचैनी है 
शांति भी है 
तड़प है कोई 
कुछ पाने की 
कुछ ढूंढ रहा है दिल 
नहीं जानता क्या 
गुमसुम रहता है 
उड़ाने भरता रहता है 
ख़्वाब देखता रहता है 
निडर छलांगे मारता है 
बादलों से समुंदर में 
एक शांत सी गली के एक अंधेरे कोने में 
रंगीली रोशनियों के  बीच थिरकता है
नशे में रहता है
उसे ज़िंदगी का सुरूर है
पर पता नहीं क्यूँ
डर जाता है फिर
गुमसुम रहता है
और ख़लबली ढूंढता है

मिलते नहीं


मिलते नहीं हमें, कभी मुकाम, तो कभी राह
मिलती नहीं जीने की वज़ह, तो कभी चाह

Milte nahin hamein, kabhi mukaam, to kabhi raah
Milti nahin jeene ki wajah, to kabhi chaah