Friday, August 18, 2017

ख़लबली


खोज नहीं मुझे 
शांति की, सुकून की 
एक हलचल चाहिए 
ख़लबली सी 
बेचैनी है 
शांति भी है 
तड़प है कोई 
कुछ पाने की 
कुछ ढूंढ रहा है दिल 
नहीं जानता क्या 
गुमसुम रहता है 
उड़ाने भरता रहता है 
ख़्वाब देखता रहता है 
निडर छलांगे मारता है 
बादलों से समुंदर में 
एक शांत सी गली के एक अंधेरे कोने में 
रंगीली रोशनियों के  बीच थिरकता है
नशे में रहता है
उसे ज़िंदगी का सुरूर है
पर पता नहीं क्यूँ
डर जाता है फिर
गुमसुम रहता है
और ख़लबली ढूंढता है

No comments:

Post a Comment

Be it a Compliment or a Critique, Feel Free to Comment!