Tuesday, November 28, 2017

वो कवि नहीं है


वो कवि नहीं है 
वो कविता नहीं करता 
वो कुछ कहता भी नहीं है 
शब्द खो से गये लगते हैं 
आज भी मचलती है उसकी कलम 
उसके ख़यालों के साथ ही 
न जाने क्यूँ आज भी 
ज़िंदा रखा है उसने 
एक अधूरी सी कविता को 
जो अब पूरी नहीं होगी 
पर मैंने वादा किया है उसे 
नये शब्द देने का 
हम साथ ढूंढेंगे उनके आयाम 
और लिखूंगी मैं उसके लिये कवितायें 
क्यूँकि वो कवि नहीं है 
और वो कविता नहीं करता 

Monday, November 27, 2017

दुआ में उठते हाथ


दुआ में उठते हाथ, तू इबादत है मेरी 
हाँ तू सजदा है मेरा, तू आदत है मेरी 

मेरे लबों की मुस्कान, नींद-ओ-चैन है मेरी 
तू ख़याल है मेरे, तू चाहत है मेरी 

मैं तेरा अक़्स, तू वज़ूद है मेरा 
तू गुरूर है मेरा, तू हिमाक़त है मेरी 

तू तड़प है मेरी, तू दवा है मेरी 
तू सुरूर है मेरा, तू शरारत है मेरी 

तू नींद में पीठ पर थपकी है मेरी 
तू अरमान है मेरे, तू राहत है मेरी 

Thursday, November 9, 2017

पुराने महल


पुराने महलों के मलबे को माथे से लगा रखा है, 
और सोचते हैं कि नसीब बदलता क्यों नहीं।

Puraane mahalon ke malbe ko maathe se laga rakha hai,
Aur sochte hain ki naseeb badalta kyun nahin.