Tuesday, December 31, 2019

इस साल की सीख


इस साल मैंने सीखा 
सिर्फ़ एक अच्छा इंसान बनना 
काफ़ी नहीं है 
सुन्दर दिखना 
बहुत ज़्यादा दौलत कमाना 
और हर किसी की नज़रों में ख़ास बनना 
सफलता के असली मापदण्ड हैं 

इस साल मैंने सीखा 
आप कितना भी प्रेम कर लें 
पर हद से ज़्यादा विश्वास करना 
बेहद फ़िज़ूल है 
लोग सिर्फ एक हद तक ही साथ देते हैं 
और वो हद 
अक्सर उनके मतलब के हिसाब से तय होती है 

इस साल मैंने सीखा 
आप चाहे अपनी सोच में 
सारे समंदर समेट लें 
और अंतरिक्ष की सीमायें लाँघ लें 
अंत में अपनी गरिमा का वास्ता देते हुए 
समाज की बनाई किसी सीमा में 
क़ैद हो जाना होता है 

इस साल मैंने सीखा 
वादे सिर्फ किये जाते हैं 
निभाना उतना ज़रूरी नहीं होता 
वादों में अक्सर 
मतलब छिपे होते हैं 
और निभाने की वज़हें 
मतलब के आगे कमज़ोर 

इस साल मैंने सीखा 
लोग आपसे अक्सर 
हाल चाल पूछते हैं 
पर उन्हें सच में आपके हाल में 
उतनी ही दिलचस्पी होती है 
जितना उन्हें उससे 
मनोरंजन मिलता रहे 

इस साल मैंने सीखा 
कि किसी पीड़ा का माप 
चोट नहीं होती 
और हम ऐसी 
बहुत सी चीज़ें 
महसूस कर लेते हैं 
जिन्हें हम समझ नहीं सकते 

इस साल मैंने सीखा 
अपेक्षायें और आकांक्षायें 
कभी ख़त्म नहीं होती 
और असीम असंभावनाओं के मध्यस्त 
एक उम्मीद ही होती है 
जो हौंसला देती है 
निरंतर बढ़ते रहने के लिये 

इस साल मैंने सीखा 
जरूरतें तो हमेशा ही 
वक़्त पर पूरी हो जाया करती हैं 
पालने होते हैं तो बस कुछ शौक़ 
कुछ ख़ुद को खुश रखने के लिये 
और कुछ खुद को ज़िंदा 
मृत इंसान के शौक़ नहीं हुआ करते 

इस साल मैंने सीखा 
महज़ ज़िंदा रहना ही ज़िंदगी नहीं 
ज़िंदगी में स्वाद 
ज़िंदादिली से है 
ज़िंदगी की चाह 
और ज़िंदगी का शुक्र अदा कर पाना 
ज़िंदगी की सच्ची सफ़लता है 

इस साल मैंने सीखा 
वक़्त तो हर लम्हा गुज़रता ही रहता है 
वो नहीं रुकता 
पर हम ही लम्हों को 
कभी यादों तो कभी शब्दों में 
तो कभी चित्रों में उकेर के 
क़ैद कर सकते हैं 
और वक़्त को रोक सकते हैं 

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