माना ज़रा कम आप बोलते हो
एहसासों को लफ़्ज़ों में नहीं तोलते हो
पर हमें तो रहता है इन्तेज़ार फ़िर भी
राज़ अपने दिल के क्यूँ नहीं खोलते हो
हम तो बादल में बैठे हैं मज़े में
आप जाने जमीं पर क्या टटोलते हो
दुनिया रह जायेगी, साथ होगा हमसफ़र
इश्क़ को जो कोई दौलतों से मोलते हो
गुल कई होंगे गुलशन में मगर
इस गुल में खुशबू आप घोलते हो
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