Poetries from my heart and few thoughts and tales aloud...
Sunday, November 27, 2016
पागल
क्या मैं पागल हूँ ?
या मैं नहीं हूँ
क्यूँ नहीं हूँ
मैं पागल ही तो हूँ
देखिये,
आप ये पढ़कर यही तो सोच रहें हैं ना
कि सच में हूँ
हा-हा
मुझे पता है
आख़िर आसान थोड़े ही होता है
पागल न होना।
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