Tuesday, September 12, 2017

तू वहाँ


तू वहाँ जागता है रातों को 
और यहाँ चैन मेरा खोता है 
कि तुझे ख़्वाब एक हसीं आए 
कोई बीज रोज़ बोता है 
न रहे तन्हा तू न दिल तेरा 
इसी आस में दिल रोता है 

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